Bihar Politics: नीतीश कुमार की टीम का ऐलान, पर कौन-कौन आउट हुए यह बना बड़ा सवाल
बिहार में विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट के साथ ही राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। चुनावी मैदान में उतरने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) की नई टीम का ऐलान कर दिया है।
लेकिन इस टीम में कौन-कौन शामिल हैं और कौन बाहर रह गए, इसे लेकर पार्टी के अंदर और बाहर चर्चाएं हो रही हैं। पार्टी की इस नई रणनीति ने राजनीतिक हलकों में खलबली मचा दी है।
आइए जानते हैं नीतीश कुमार की इस नई टीम के बारे में और वह कौन से नेता हैं जो इस बार की सूची से गायब हैं।
जदयू की नई टीम: पांच वरिष्ठ नेताओं को दी गई कमान
नीतीश कुमार ने आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर जदयू में पांच टीमें बनाई हैं। इन टीमों की अगुवाई पार्टी के वरिष्ठ नेता कर रहे हैं, जिनका काम चुनावी रणनीतियों को अंजाम देना है। जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने बताया कि:
- पहली टीम का नेतृत्व जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार झा करेंगे।
- दूसरी टीम की कमान जल संसाधन और संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी को दी गई है।
- तीसरी टीम का नेतृत्व खुद प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा करेंगे।
- चौथी टीम की जिम्मेदारी ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार को दी गई है।
- पांचवीं टीम केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर की अगुवाई में काम करेगी।
इन टीमों में नौ-नौ सदस्य शामिल हैं, जो बिहार विधानसभा चुनावों की रणनीति पर फोकस करेंगे। पार्टी के इस निर्णय ने जहां कुछ नेताओं को सशक्त बनाया है, वहीं कुछ वरिष्ठ नेताओं की अनुपस्थिति सवाल खड़े कर रही है।
कौन-कौन से वरिष्ठ नेता टीम से हैं बाहर?
जदयू की इस नई टीम में केंद्रीय मंत्री ललन सिंह का नाम नहीं है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि ललन सिंह पार्टी के नीति निर्धारक माने जाते हैं और उनकी अलग से बड़ी जिम्मेदारी है। लेकिन सिर्फ ललन सिंह ही नहीं, बल्कि कई अन्य प्रमुख नेता भी इस लिस्ट से बाहर हैं।
इनमें वरिष्ठ मंत्री विजेंद्र यादव, दलित नेता महेश्वर हजारी, एमएलसी खालिद अनवर और गुलाम गौस सहित भगवान सिंह कुशवाहा और संतोष कुशवाहा शामिल हैं।
ये सभी नेता नीतीश कुमार के करीबी माने जाते हैं, और इनके टीम से बाहर होने पर राजनीतिक अटकलें तेज हो गई हैं।
220 सीटों का टारगेट और नई जिम्मेदारियां
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने इसे लेकर स्पष्ट किया कि किसी भी नेता को बाहर नहीं रखा गया है। उनका कहना है कि जदयू का लक्ष्य आगामी चुनाव में 220 सीटें जीतना है, और इसी मिशन के लिए सभी नेता जुटे हुए हैं।
कुशवाहा ने कहा, “जदयू एक परिवार की तरह है और सभी नेता पार्टी को मजबूत बनाने में लगे हैं। हर नेता की जिम्मेदारी है कि पार्टी के लक्ष्य को कैसे हासिल किया जाए।”
हालांकि, अंदरखाने से खबरें आ रही हैं कि टीम में जगह न मिलने से कई नेता नाराज हैं, लेकिन अभी तक कोई खुलकर अपनी नाराजगी व्यक्त नहीं कर रहा है।
नीतीश कुमार की राजनीति: अनिश्चितताओं से भरी
नीतीश कुमार की राजनीति हमेशा से अनिश्चितताओं से भरी रही है। वह कब किसे ऊपर चढ़ा दें और कब किसे बाहर कर दें, यह किसी को पता नहीं चलता।
ललन सिंह, विजेंद्र यादव और महेश्वर हजारी जैसे नेता अभी भी पार्टी में अहम भूमिका निभा रहे हैं, लेकिन नीतीश कुमार की सोच को समझ पाना आसान नहीं है।
यह टीम आगे चलकर चुनावी मैदान में क्या रंग दिखाएगी, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन फिलहाल इस घोषणा ने बिहार की राजनीति में नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है।
निष्कर्ष
जदयू की नई टीम के गठन से बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है। नीतीश कुमार के इस फैसले ने पार्टी के अंदरूनी समीकरणों को एक बार फिर से सुर्खियों में ला दिया है।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह टीम 2025 के चुनावों में पार्टी के 220 सीटों के लक्ष्य को कैसे हासिल करती है और उन नेताओं की भूमिका क्या रहती है जिन्हें इस बार टीम में शामिल नहीं किया गया है।
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