बिहार की स्वर कोकिला शारदा सिन्हा का निधन: लोकगीतों की मर्मस्पर्शी आवाज अब सदा के लिए मौन
बिहार और भारतीय लोकसंगीत की प्रख्यात गायिका शारदा सिन्हा का निधन संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। छठ महापर्व के दौरान उनके गीतों की गूंज हर घर तक पहुँचती थी।
शारदा सिन्हा का मंगलवार रात दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया, जहाँ वे कुछ समय से भर्ती थीं और लगातार इलाज चल रहा था। लोकसंगीत की इस महान हस्ती का जाना न सिर्फ बिहार बल्कि पूरे भारत के लिए गहरा आघात है।
पीएम मोदी और सीएम नीतीश का संवेदना संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शारदा सिन्हा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा, “लोकगायिका शारदा सिन्हा जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। उनके गाए मैथिली और भोजपुरी लोकगीत सदैव हमारी सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा रहेंगे।”
सीएम नीतीश कुमार ने भी शोक संदेश में कहा कि शारदा सिन्हा का जाना बिहार के लोकसंगीत को एक बड़ी क्षति है।
छठ महापर्व और शारदा सिन्हा का गहरा संबंध
छठ पूजा के गीतों में शारदा सिन्हा की आवाज वर्षों से लोगों के दिलों में बसी हुई है। उनके प्रसिद्ध गीत, जैसे ‘केलवा के पात पर‘ और ‘पहिली बार पहीले-पहिल हम‘ बिहार और उत्तर प्रदेश के घर-घर में गाए जाते हैं।
छठ पर्व के दौरान उनके गीतों के बिना उत्सव अधूरा माना जाता है। उनके निधन से इस बार छठ का त्योहार भी फीका सा महसूस होगा, क्योंकि उनकी मधुर आवाज़ अब नहीं गूंजेगी।
शारदा सिन्हा का योगदान और उपलब्धियाँ
लोकसंगीत को नई पहचान दिलाने वाली शारदा सिन्हा को भारत सरकार ने 1991 में पद्मश्री और 2018 में पद्मभूषण से सम्मानित किया। उनके गीत सिर्फ बिहारी संस्कृति तक सीमित नहीं रहे, बल्कि उन्होंने फिल्मों में भी अपने स्वर का जादू बिखेरा।
‘गंगाजल’ और ‘मधुशाला’ जैसी फिल्मों में गाए उनके गीत दर्शकों को खूब पसंद आए। उनके गीतों ने बिहार की संस्कृति को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।
अंतिम समय और परिवार की पीड़ा
शारदा सिन्हा कुछ समय से बीमार थीं और एम्स में उनका इलाज चल रहा था। सोमवार रात उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। हाल ही में उनके बेटे अंशुमन सिन्हा ने बताया था कि वे बोलने में कठिनाई महसूस कर रही थीं।
उनके परिवार और प्रशंसक लगातार उनके स्वास्थ्य में सुधार की प्रार्थना कर रहे थे, लेकिन आखिरकार उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।
सामाजिक मीडिया पर शोक की लहर
शारदा सिन्हा के निधन के बाद सोशल मीडिया पर शोक संदेशों की बाढ़ आ गई। वरिष्ठ नेताओं से लेकर आम लोगों तक, सभी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद, राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन समेत कई प्रमुख हस्तियों ने कहा कि शारदा सिन्हा ने अपने गीतों के माध्यम से छठ पर्व और बिहार की सांस्कृतिक पहचान को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुँचाया।
संगीत जगत में अपूरणीय क्षति
शारदा सिन्हा का निधन संगीत प्रेमियों के लिए एक गहरी चोट है। उनकी आवाज की मिठास और उनके गीतों की सादगी ने हर उम्र के श्रोताओं को बांधे रखा। उन्होंने न केवल लोकगीतों को लोकप्रिय बनाया, बल्कि छठ महापर्व को भी संगीतमय बना दिया। संगीत प्रेमियों के लिए उनकी अनुपस्थिति एक खालीपन छोड़ जाएगी, जो कभी नहीं भर सकता।
शारदा सिन्हा के जाने से केवल संगीत जगत ने ही नहीं, बल्कि पूरे बिहार ने एक महान कलाकार को खो दिया है। उनके गीत आने वाली पीढ़ियों को उनकी सांस्कृतिक धरोहर से जोड़े रखने का काम करते रहेंगे। उनके निधन के बाद उनके गाए गीत सदैव हमारी संस्कृति और परंपरा का हिस्सा बने रहेंगे, और उनकी मधुर आवाज़ छठ पर्व पर लोगों के दिलों में गूंजती रहेगी।
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