छठ पूजा 2024: छठ पूजा का महत्व और उषा अर्घ्य का समय, जानें 8 नवंबर को सूर्य को अर्घ्य देने का सही समय
छठ पूजा 2024 भारत में सूर्य उपासना का प्रमुख पर्व है, जो लोक आस्था और सूर्य देव की आराधना को समर्पित है। चार दिवसीय इस महापर्व का समापन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ होता है।
इस बार 8 नवंबर को छठ पूजा का समापन उषा अर्घ्य से होगा, जहां व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देकर अपने 36 घंटे के कठिन निर्जला व्रत का पारण करेंगे।

छठ पूजा 2024 का चार दिवसीय क्रम
छठ पूजा 5 नवंबर को नहाय-खाय से शुरू हुई, जिसमें व्रतियों ने गंगा या पवित्र जल से स्नान कर शुद्धता का संकल्प लिया। 6 नवंबर को खरना का आयोजन किया गया, जिसमें व्रतियों ने अन्न-जल त्याग कर फलाहार किया और सूर्य देव के लिए कद्दू-भात का प्रसाद तैयार किया।
आज यानि 7 नवंबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जायेगा, और इस पावन अवसर पर पूरा बिहार सूर्य देव के स्वागत में झूम उठा। गंगा घाटों और तालाबों पर रोशनी, सजावट और भक्तों का सैलाब देखने के लिए सब लोग बेसब्री से इंतज़ार कर रहे है |
इस मौके पर जिला प्रशासन द्वारा भी काफी अच्छा इंतज़ामों किया गया है। पटना के घाट अपने व्रतियों के लिए पूरी तरह तैयार है।
उषा अर्घ्य का महत्व
छठ महापर्व का अंतिम दिन उषा अर्घ्य का होता है, जो नई ऊर्जा और शुभता का प्रतीक माना जाता है। व्रती 8 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे, जिससे वे अपने व्रत का पारण करेंगे।
माना जाता है, उषा अर्घ्य के साथ ही व्रतियां अपने संतान की लंबी आयु, परिवार में सुख-समृद्धि और सौभाग्य की कामना करती है। परंपरागत मान्यता है कि उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयाँ दूर होती हैं और व्यक्ति को सुख, शांति और स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है।
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सूर्य देव की उपासना का महत्व
सूर्य उपासना में विशेष रूप से व्रती महिलाएं अपने परिवार की खुशहाली, संतान की लंबी आयु और स्वास्थ्य की कामना करती हैं।
छठ व्रत में बिना अन्न और जल ग्रहण किए व्रती संकल्प के साथ सूर्य देव की आराधना करती हैं। मान्यता है कि सूर्य देव का आशीर्वाद पाने से संतान के सुख, शांति और दीर्घायु का वरदान मिलता है।
छठ महापर्व का उत्सव
छठ पूजा का त्योहार मुख्यतः बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है, परंतु यह अब देश के अन्य हिस्सों में भी लोकप्रिय हो चुका है। छठ के समय बिहार के हर गांव, शहर और घाट उत्साह और श्रद्धा से भरे हुए नजर आते हैं।
पटना के गंगा घाटों की सुंदर सजावट, रंगीन रोशनी मंत्रमुग्ध करने के लिए पूरी तरह तैयार है। सूर्य मंदिरों और घाटों पर विशेष साफ-सफाई का ध्यान रखा गया है ताकि भक्त आसानी से अर्घ्य अर्पित कर सकें।
सूर्य अर्घ्य का वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व
धार्मिक मान्यता के साथ ही, सूर्य अर्घ्य देने का वैज्ञानिक महत्व भी है। सुबह की पहली किरण से शरीर को ऊर्जा मिलती है और मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार होता है।
यह प्रकृति के साथ जुड़ाव का प्रतीक है, जिसमें सूर्य देव को जीवन के स्रोत के रूप में माना गया है। उगते सूर्य के समय अर्घ्य देने से नई ऊर्जा मिलती है, और दिन की शुरुआत सकारात्मक होती है।
8 नवंबर को उषा अर्घ्य का समय
व्रती 8 नवंबर की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए घाटों पर इकट्ठा होंगे। शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में लोग सुबह से ही घाटों पर पहुंच जाएंगे।
उषा अर्घ्य का समय लगभग 6:30 से 6:50 के बीच निर्धारित है, हालांकि यह समय स्थान के अनुसार कुछ मिनटों का अंतर भी हो सकता है।
छठ महापर्व न केवल एक त्योहार है, बल्कि यह आस्था, परंपरा और श्रद्धा का प्रतीक है। इस पर्व में भक्तों की तपस्या और उनके दृढ़ संकल्प को देख कर हर कोई श्रद्धा से भर जाता है। इस बार का छठ पर्व भी इसी भक्ति और उत्साह से मनाया गया, और अगले साल तक यह पुण्य अवसर भक्तों के दिलों में बसा रहेगा।
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