Baby John Review: कमजोर रीमेक जिसने ऑडियंस को निराश किया
Baby John Review: बॉलीवुड में ओरिजनल कहानियों की कमी का अंदाज़ा हाल ही में आई फिल्मों से लगाया जा सकता है। वरुण धवन की ‘बेबी जॉन’, तमिल ब्लॉकबस्टर ‘थेरी’ का रीमेक, इस कमी का ताजा उदाहरण है। 2016 में रिलीज़ ‘थेरी’ ने थलपति विजय की लोकप्रियता को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया था। लेकिन ‘बेबी जॉन’ वह करिश्मा दोहराने में नाकाम रही।
फिल्म की कमजोर कहानी, कमजोर निर्देशन और साधारण अभिनय ने इसे एक साधारण रीमेक से ज्यादा कुछ नहीं बनाया।
कहानी

फिल्म की कहानी सत्य वर्मा (वरुण धवन) उर्फ बेबी जॉन पर केंद्रित है। मुंबई के एक सख्त और ईमानदार डीसीपी के रूप में सत्य वर्मा चाइल्ड ट्रैफिकिंग और रेप जैसे संगीन मामलों में दबंग नेता नाना (जैकी श्रॉफ) और उसके गैंग से भिड़ता है। सत्य का सामना नाना के बेटे से होता है, जो एक बच्ची के साथ दरिंदगी का आरोपी है।
अपनी सच्चाई और बहादुरी के लिए सत्य को कीमत चुकानी पड़ती है—अपनी पत्नी मीरा (कीर्ति सुरेश) और मां (शीबा चड्ढा) को खोकर। इसके बाद सत्य, अपनी बेटी खुशी (ज़ारा ज़ियाना) के साथ केरल में गुमनाम जिंदगी बिताने लगता है। लेकिन जब नाना की गैंग फिर से उनकी जिंदगी में तूफान लाती है, तो सत्य को अपने पुराने डीसीपी अवतार में लौटना पड़ता है।
कहानी में एक्शन, इमोशन, रोमांस और सोशल मैसेज जैसे मसाले डाले गए हैं। लेकिन कमजोर प्लॉट और ओल्ड-स्कूल ट्रीटमेंट फिल्म को बांधने में नाकाम साबित होते हैं।
एक्टिंग परफॉर्मेंस
- वरुण धवन: सत्य वर्मा के किरदार में वरुण का प्रदर्शन फीका है। थलपति विजय के ओरिजनल परफॉर्मेंस के मुकाबले वरुण कहीं नहीं टिकते। उनकी एक्टिंग में वह गहराई और ग्रेविटी नजर नहीं आती, जो एक्शन थ्रिलर को ऊंचाई पर ले जाती।
- कीर्ति सुरेश: मीरा के किरदार में कीर्ति सिर्फ ठीक-ठाक लगीं। उन्हें ज्यादा स्क्रीन टाइम और दमदार सीन्स की जरूरत थी।
- वामिका गब्बी: उनकी डायलॉग डिलीवरी और परफॉर्मेंस में कसावट की कमी दिखी।
- जैकी श्रॉफ: विलेन के रूप में जैकी ने अच्छा काम किया, लेकिन उनका किरदार कैरिकेचर बनकर रह गया।
- चाइल्ड आर्टिस्ट जारा ज़ियाना: फिल्म में जारा का प्रदर्शन सबसे ज्यादा प्रभावित करता है।
निर्देशन और लेखन
फिल्म को कालीस ने डायरेक्ट किया है। लेकिन एटली की ओरिजनल फिल्म की तुलना में उनका निर्देशन कमजोर साबित हुआ। स्क्रिप्ट में मौलिकता की कमी है, और ऐसा लगता है कि फिल्म को सिर्फ कॉपी-पेस्ट किया गया है। एक्शन सीन्स घिसे-पिटे और पुराने जमाने के लगते हैं।
तीन राइटर्स – एटली, कालीस और सुमित अरोड़ा के बावजूद फिल्म का स्क्रीनप्ले दर्शकों को बांधने में असफल रहता है।
म्यूजिक
थमन एस का म्यूजिक इस फिल्म को बेहतर बनाने के बजाय और कमजोर करता है। ‘नैन मटक्का’ और टाइटल ट्रैक को छोड़कर गाने औसत दर्जे के हैं।
फिल्म की ताकत और कमजोरियां:
ताकत:
- दमदार एक्शन सीक्वेंसेज।
- चाइल्ड आर्टिस्ट जारा का शानदार अभिनय।
कमजोरियां:
- कमजोर स्क्रिप्ट और क्लिशे डायलॉग्स।
- वरुण धवन का औसत प्रदर्शन।
- बासी और घिसी-पिटी कहानी।
- म्यूजिक और गाने, जो कहानी में रुकावट डालते हैं।
क्या आपको यह फिल्म देखनी चाहिए?
अगर आपने ओरिजनल ‘थेरी’ देखी है, तो ‘बेबी जॉन’ आपकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरेगी। यह रीमेक न केवल ओरिजनल के स्तर तक पहुंचने में नाकाम है, बल्कि दर्शकों को बांधने में भी असफल साबित होती है।
हालांकि, अगर आपने ‘थेरी’ नहीं देखी है, तो यह फिल्म एक बार देखने लायक हो सकती है। लेकिन इसकी कमजोर कहानी और साधारण प्रदर्शन इसे यादगार बनाने में नाकाम रहती है।
निष्कर्ष
‘बेबी जॉन’ एक मिस्ड अपॉर्च्युनिटी है, जिसमें वरुण धवन का टैलेंट और ओरिजनल फिल्म की कहानी दोनों का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं हो पाया।