बिहार भूमि सर्वेक्षण: नीतीश सरकार का बड़ा कदम, अब आसान हुआ जमीन दस्तावेजों की समझ
बिहार भूमि सर्वेक्षण: बिहार में भूमि से जुड़े पुराने दस्तावेजों की समस्या अब खत्म हो गई है।
नीतीश सरकार ने जमीन मालिकों और सर्वे कर्मियों के लिए बड़ी राहत की घोषणा की है। बिहार भूमि सर्वेक्षण में ‘कैथी लिपि’ में लिखे गए दस्तावेजों को पढ़ने में होने वाली परेशानी को अब दूर कर दिया गया है। इसीसलिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने ‘कैथी लिपि’ से के लिए एक विशेष पुस्तिका का लोकार्पण कर दिया है।
यह पुस्तिका अब विभागीय वेबसाइट पर उपलब्ध है। इससे कैथी लिपि में लिखे पुराने सर्वे खतियान और दस्तावेजों को आसानी से समझा जा सकेगा।
कैथी लिपि के दस्तावेजों को पढ़ने में राहत
बता दें, कैथी लिपि में लिखे पुराने दस्तावेज न केवल जमीन मालिकों बल्कि सर्वे कर्मियों के लिए भी समस्या बन गए थे। मंत्री डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल ने गुरुवार को एक कार्यक्रम में इस पुस्तिका का लोकार्पण किया। उन्होंने कहा कि अब लोगों को दस्तावेज पढ़ने के लिए निजी व्यक्तियों या पुराने सरकारी कर्मियों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। पहले यह काम मुश्किल और महंगा था, लेकिन अब यह प्रक्रिया सुगम और किफायती हो गई है।
इसके लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के शोधकर्ता प्रीतम कुमार की सेवाएं ली गईं। कैथी लिपि में लिखित दस्तावेजों को हिंदी में रूपांतरित करने के लिए यह पुस्तिका महत्वपूर्ण साबित होगी।
तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम
राज्य सरकार ने कैथी लिपि के दस्तावेज पढ़ने के लिए सर्वे कर्मियों को प्रशिक्षित करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। पश्चिम चंपारण, दरभंगा, समस्तीपुर, सीवान, सारण, मुंगेर, और जमुई जिलों में विशेष सर्वेक्षण कर्मियों को तीन दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। अन्य जिलों के लिए भी जल्द ही प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
इस कदम का उद्देश्य उन जमीन मालिकों को फायदा पहुंचाना है, जिनके पास पुराने दस्तावेज कैथी लिपि में लिखे हुए हैं। इन दस्तावेजों के आधार पर ही उनकी जमीन का स्वामित्व तय किया जाना है।
सोनपुर मेले में नक्शे की बढ़ी मांग
भूमि सर्वेक्षण के प्रति लोगों की रुचि सोनपुर मेले में भी देखने को मिली। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने मेले में स्टॉल लगाया, जहां बड़ी संख्या में लोग नक्शे खरीदने पहुंचे। यहां नक्शों की बिक्री के लिए दो काउंटर बनाए गए थे। छोटे गांव का नक्शा एक शीट में, जबकि बड़े गांव का नक्शा एक से अधिक शीट में उपलब्ध है।
प्रति शीट की कीमत सिर्फ 150 रुपये है। अब तक 7177 शीट्स के लिए 2842 आवेदन किए जा चुके हैं। इस प्रक्रिया में औसतन 10 मिनट का समय लगता है।
पुराने दस्तावेजों की पहचान आसान
कैथी लिपि में दस्तावेजों को समझने के लिए विभाग ने 10 रुपये की पर्ची पर विवरण देने की प्रक्रिया शुरू की है। इसमें खाता, खेसरा, गांव का नाम, राजस्व थाना नंबर, जिला और अंचल, का नाम भरना जरूरी होगा।
इस पूरी प्रक्रिया से न केवल आम रैयतों को राहत मिलेगी, बल्कि भूमि विवाद और स्वामित्व की समस्याओं का समाधान भी जल्द हो सकेगा। विभागीय प्रवक्ता ने कहा कि यह कदम भूमि सर्वेक्षण प्रक्रिया को पारदर्शी और सरल बनाएगा।
बिहार भूमि सर्वेक्षण: निष्कर्ष
नीतीश सरकार का यह कदम न केवल कैथी लिपि से जुड़े दस्तावेजों की समस्या को खत्म करेगा, बल्कि भूमि स्वामित्व के मुद्दों को भी सरल और सुलभ बनाएगा। यह पहल बिहार के सभी जमीन मालिकों और सर्वे कर्मियों के लिए राहत लेकर आई है।
अब आप भी अपने गांव का नक्शा या दस्तावेज पाएं बिना किसी झंझट। अधिक जानकारी के लिए विभागीय वेबसाइट पर जाएं।