Sunday, August 10, 2025
Politics

एक देश-एक चुनाव बिल: लोकसभा में वोटिंग के बाद बढ़ी सियासी गर्मी, कांग्रेस का तंज – सरकार के पास दो-तिहाई बहुमत नहीं

नई दिल्ली: लोकसभा में मंगलवार को ‘एक देश-एक चुनाव’ से संबंधित 129वां संविधान संशोधन बिल पेश किया गया। इस प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सियासी हलचल बढ़ गई। बिल पेश करने को लेकर दो बार वोटिंग हुई, जिसमें पक्ष में 269 और विरोध में 198 वोट पड़े। हालांकि, कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने इस बिल का विरोध करते हुए सरकार पर निशाना साधा और कहा कि “सरकार के पास दो-तिहाई बहुमत नहीं है।”

क्या है मामला?

लोकसभा में मंगलवार को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बिल पेश किया। शुरुआत में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग कराई गई, जिसमें 220 सांसदों ने समर्थन और 149 ने विरोध किया। हालांकि, विपक्ष की आपत्ति के बाद स्पीकर ओम बिड़ला ने पर्ची से दोबारा वोटिंग कराई। इस बार पक्ष में 269 और विरोध में 198 वोट पड़े।

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यदि किसी को वोटिंग पर आपत्ति है, तो वह पर्ची के माध्यम से अपना वोट दर्ज करा सकता है। इसके बाद सांसदों ने दोबारा वोटिंग की और बिल सदन में पेश कर दिया गया।

क्या कहा विपक्ष ने?

सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने आरोप लगाया कि वन नेशन, वन इलेक्शन” बिल बीजेपी की तानाशाही लाने की कोशिश है। वहीं कांग्रेस ने सरकार पर दो-तिहाई बहुमत न होने की बात कही।

कांग्रेस का कहना है कि सरकार विपक्ष के समर्थन के बिना इस बिल को पास नहीं करा सकती, क्योंकि संविधान संशोधन बिल के लिए दो-तिहाई बहुमत जरूरी होता है।

बिल के मुख्य बिंदु:

  1. संविधान संशोधन बिल: 129वां संविधान संशोधन बिल का उद्देश्य पूरे देश में एक साथ चुनाव कराना है।
  2. तीन राज्यों पर फोकस: केंद्र शासित प्रदेशों जैसे दिल्ली, पुडुचेरी और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ कराने का प्रस्ताव है।
  3. संशोधन के कानून:
  • द गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज एक्ट-1963
  • द गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली-1991
  • द जम्मू एंड कश्मीर रीऑर्गनाइजेशन एक्ट-2019

संसद में दो-तिहाई बहुमत जरूरी:

बिल पास कराने के लिए सरकार को लोकसभा में 362 और राज्यसभा में 164 सांसदों का समर्थन चाहिए। फिलहाल एनडीए के पास लोकसभा में 292 और राज्यसभा में 112 सीटें हैं। विपक्ष के पास लोकसभा में 205 सांसद हैं, जो बिल पास कराना मुश्किल बना सकते हैं।

विरोध और समर्थन

  • रामनाथ कोविंद समिति ने 47 राजनीतिक दलों की राय मांगी थी। इसमें 32 दलों ने समर्थन किया जबकि 15 दलों ने विरोध जताया।
  • विरोध करने वाले दलों के पास 205 लोकसभा सांसद हैं, जिससे बिना विपक्ष की सहमति के बिल पास करना सरकार के लिए चुनौती है।

क्या होगा आगे?

सूत्रों के मुताबिक, सरकार इस बिल को लेकर विस्तृत चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजने पर विचार कर सकती है। सरकार का मानना है कि ‘एक देश-एक चुनाव’ से देश में संसाधनों की बचत होगी और प्रशासनिक प्रक्रिया तेज होगी।

निष्कर्ष

लोकसभा में पेश ‘एक देश-एक चुनाव’ बिल ने सियासी हलचल तेज कर दी है। विपक्ष के विरोध और सरकार के समर्थन के बीच यह बिल आगे कितना सफल होगा, यह देखना दिलचस्प होगा।

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