बिहार में कब तक चूहे कुतरेंगे बांध? महिला MLA ने उठाए सवाल
बिहार में चूहों का नाम एक बार फिर से राजनीति और बांधों के मामलों में चर्चा का विषय बन गया है। वैशाली जिले के बांध की ऊंचाई और विस्तार को लेकर चल रही बहस में चूहों द्वारा बांध को नुकसान पहुंचाने की बात सदन में गूंज उठी। यह कोई पहली बार नहीं है, जब बिहार में चूहों को बांध से जुड़ी समस्याओं के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। आइए इस मुद्दे को विस्तार से समझते हैं।
बिहार में चूहों और बांधों का पुराना विवाद
बिहार में बांधों को लेकर चूहों के नाम पर चर्चा होना कोई नई बात नहीं है। पहले भी कई मामलों में बांध टूटने या कमजोर होने के लिए चूहों को जिम्मेदार ठहराया गया है।
- पुराने मामले:
- इससे पहले भी बिहार में कई बांध टूटने के मामलों में अधिकारियों और नेताओं ने चूहों को दोषी ठहराया था।
- 2017 में पटना में हुए बाढ़ के दौरान, चूहों को गंगा के तटबंध के कमजोर होने का कारण बताया गया था।
- चूहों का असर:
- नेताओं और अधिकारियों का दावा है कि चूहे बांधों में सुरंग बनाकर उसकी संरचना को कमजोर कर देते हैं।
- पानी के बहाव के कारण कमजोर बांध टूट जाते हैं, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है।
इस बार वैशाली जिले के बांध से संबंधित मामले में भी चूहों का नाम सामने आया है, जिसने इस मुद्दे को फिर से ताजा कर दिया।
वैशाली के बांध पर विधानसभा में चर्चा
बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र में वैशाली जिले के देसरी प्रखंड के चांदपुर से बिलटचैक स्लूईस गेट तक बने बांध की समस्या पर चर्चा हुई।
- विधायक का सवाल:
- कांग्रेस विधायक प्रतिमा दास ने सवाल उठाया कि बांध की ऊंचाई कम क्यों है और बिलटचैक से मुरौवतपुर तक इसका विस्तार क्यों नहीं किया गया।
- उन्होंने यह भी पूछा कि इस बांध की देखरेख और विस्तार के लिए सरकार क्या कर रही है।
- मंत्री का जवाब:
- जवाब देते हुए जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि बांध की ऊंचाई और विस्तार का मुद्दा सरकार के ध्यान में है।
- वहीं, मंत्री ललन सिंह ने चूहों द्वारा बांध को नुकसान पहुंचाने की संभावना पर भी चर्चा की।
- विधायक की प्रतिक्रिया:
- विधायक प्रतिमा दास ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि बिहार सरकार कब तक बांध की समस्याओं का जिम्मा चूहों पर डालती रहेगी।
- उन्होंने सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग की।
बांधों के रखरखाव में सरकार की चुनौतियां
बिहार में हर साल बाढ़ की स्थिति और बांधों की समस्याएं चर्चा का विषय बनती हैं। हालांकि, इन मुद्दों का समाधान करना सरकार के लिए हमेशा से चुनौतीपूर्ण रहा है।
1. चूहों का प्रभाव या प्रशासन की विफलता?
- यह सवाल उठता है कि क्या चूहों को दोषी ठहराना वास्तविक समस्या का हल है, या यह प्रशासन की विफलता को छिपाने का प्रयास है।
- विशेषज्ञों का मानना है कि बांधों की नियमित देखभाल और मजबूती के लिए पर्याप्त उपाय किए जाने चाहिए।
2. बाढ़ प्रबंधन की जरूरत:
- बिहार हर साल बाढ़ की समस्या से जूझता है। कमजोर तटबंध और रखरखाव की कमी के कारण स्थिति और गंभीर हो जाती है।
- सरकार को बाढ़ प्रबंधन के लिए आधुनिक तकनीक और संसाधनों का उपयोग करना होगा।
3. राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप:
- विधानसभा में अक्सर इन मुद्दों पर चर्चा होती है, लेकिन ठोस समाधान की कमी दिखाई देती है।
- विपक्ष लगातार सरकार पर आरोप लगाता है कि वह केवल बहाने बनाकर समस्याओं को टालने का प्रयास करती है।
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