महाराष्ट्र राजनीति: एमवीए में दरार, कांग्रेस के अति आत्मविश्वास पर शिवसेना का हमला
महाराष्ट्र राजनीति में महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन के भीतर दरारें उभर रही हैं। हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में करारी हार के बाद कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी), और एनसीपी के गठबंधन पर सवाल खड़े हो रहे हैं। जहां कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने इस्तीफा दे दिया है, वहीं शिवसेना (यूबीटी) ने हार का ठीकरा कांग्रेस के ‘अति आत्मविश्वास’ पर फोड़ा है।
कांग्रेस के अति आत्मविश्वास को ठहराया जिम्मेदार
शिवसेना (यूबीटी) के वरिष्ठ नेता अंबादास दानवे ने हाल ही में मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी के अति आत्मविश्वास ने एमवीए के चुनावी प्रदर्शन को बुरी तरह प्रभावित किया। दानवे ने कहा,
“यह सच है कि कांग्रेस लोकसभा चुनावों के बाद से हर जगह अति आत्मविश्वास में थी। चाहे हरियाणा हो, जम्मू और कश्मीर हो या महाराष्ट्र, उनके रवैये में यह साफ झलकता था।”
उन्होंने राहुल गांधी और कांग्रेस की लोकसभा चुनावों में मेहनत को सराहा, लेकिन यह भी कहा कि विधानसभा चुनावों के दौरान उनकी यही मेहनत नहीं दिखी। उनका मानना है कि इंडिया ब्लॉक को लोकसभा में मिली सफलता के बाद कांग्रेस ने अपने प्रदर्शन को हल्के में लिया।
महाराष्ट्र राजनीति: चुनाव में हार के मुख्य कारण
दानवे ने एमवीए के भीतर सीट बंटवारे और रणनीतिक फैसलों में देरी को भी हार की बड़ी वजह बताया।
- सीट बंटवारे में देरी:
उन्होंने कहा, “हम आखिरी दिन तक सीट बंटवारे को लेकर बातचीत में उलझे रहे। जो समय जनता से संवाद में लगना चाहिए था, वह गठबंधन के अंदर के झगड़ों में बर्बाद हो गया।” - अनुचित सीट आवंटन:
कुछ सीटें शिवसेना (यूबीटी) को मिलनी चाहिए थीं, लेकिन कांग्रेस सहमत नहीं हुई। - सीएम पद का मुद्दा:
दानवे ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उनका पूरा ध्यान मुख्यमंत्री पद पर था। उन्होंने कहा, “कांग्रेस ने ऐसा बर्ताव किया जैसे उनके लिए मुख्यमंत्री पद का शपथ ग्रहण ही सबसे महत्वपूर्ण था।”
उद्धव ठाकरे को सीएम उम्मीदवार बनाने की बात
अंबादास दानवे ने यह भी कहा कि अगर चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया गया होता, तो चुनावी नतीजे अलग हो सकते थे। उन्होंने कहा,
“अगर उद्धव ठाकरे का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए शुरू से ही सामने रखा जाता, तो जनता का विश्वास एमवीए में बढ़ता और परिणाम हमारे पक्ष में होते।”
महाराष्ट्र राजनीति :एमवीए के भविष्य पर सवाल
एमवीए के भीतर बढ़ते तनाव और एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप से गठबंधन के भविष्य पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
- क्या कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) अपने मतभेद भुलाकर फिर से एकजुट हो पाएंगे?
- क्या अगले चुनावों तक एमवीए अपनी रणनीतियों को बेहतर कर पाएगा?
विशेषज्ञों का मानना है कि एमवीए की हार का मुख्य कारण न केवल अति आत्मविश्वास था, बल्कि जमीनी स्तर पर कमजोर योजना और मतदाताओं से जुड़ने में असफलता भी रही। सीट बंटवारे और सीएम फेस को लेकर अनिश्चितता ने मतदाताओं के बीच गलत संदेश भेजा।
निष्कर्ष
महा विकास अघाड़ी की हार केवल एक राजनीतिक घटना नहीं है, बल्कि यह गठबंधन की खामियों और आपसी तालमेल की कमी को भी उजागर करती है। अगर एमवीए को भविष्य में बेहतर प्रदर्शन करना है, तो उन्हें जनता से जुड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना होगा और अपने गठबंधन के भीतर सामंजस्य स्थापित करना होगा।
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