Monday, August 11, 2025
Bihar

बिहार से अलग मिथिला राज्य की मांग फिर उठी, राबड़ी देवी ने किया समर्थन

बिहार से अलग मिथिला राज्य की मांग एक बार फिर राजनीतिक चर्चा का विषय बन गई है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की नेता और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने इस मांग को उठाकर पूरे राज्य के राजनीतिक परिदृश्य को हिला दिया है।

बुधवार को बिहार विधान परिषद के शीतकालीन सत्र के दौरान राबड़ी देवी ने अलग मिथिला राज्य बनाने की वकालत की। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों से आग्रह किया कि इस मामले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने उठाया जाए।

मैथिली भाषा और क्षेत्रीय पहचान पर जोर

मैथिली भाषा पर चर्चा के दौरान राबड़ी देवी ने कहा कि इस भाषा को संविधान में उचित सम्मान मिला है, लेकिन अलग मिथिला राज्य बनाने पर भी ध्यान देना चाहिए। उनकी यह मांग विधानसभा चुनावों से पहले क्षेत्रीय राजनीति को एक नया आयाम दे सकती है। मैथिली भाषी उत्तर बिहार के लोग लंबे समय से इस मांग को उठा रहे हैं।

इतिहास में मिथिला राज्य की मांग

मिथिला को अलग राज्य का दर्जा देने की मांग भारत की आजादी से पहले की है। 1912 में बिहार को बंगाल से अलग किया गया था, तब भी यह मांग उठी थी। बाद में 2000 में झारखंड के गठन के बाद मिथिला राज्य का मुद्दा और तेजी से उभरा। पटना से लेकर दिल्ली तक इस मांग के लिए कई बार प्रदर्शन हो चुके हैं।

राबड़ी देवी की रणनीति और चुनावी समीकरण

राबड़ी देवी ने मीडिया से बात करते हुए दोहराया कि केंद्र और राज्य में एक ही सरकार है, इसलिए इस मांग पर विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा मिथिला क्षेत्र के लोगों की आकांक्षाओं को संबोधित करने का है।

राजनीतिक हलचल और चुनावी प्रभाव

आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर यह मुद्दा न केवल क्षेत्रीय पहचान को बढ़ावा देगा, बल्कि राजनीतिक दलों के लिए एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है। सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों के लिए यह देखना चुनौतीपूर्ण होगा कि वे इस पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं।

निष्कर्ष

मिथिला राज्य की मांग ने बिहार की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दिया है। अब यह देखना बाकी है कि यह मुद्दा चुनावी नतीजों और राज्य के भविष्य को कैसे प्रभावित करेगा।

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