Sunday, August 10, 2025
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मां की ममता बनी ताकत, महिला कांस्टेबलों ने 104 लापता बच्चों को घर पहुंचाया

दिल्ली पुलिस की दो जांबाज महिला हेड कांस्टेबल, सीमा और सुमन, इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई हैं। उनकी कोशिशों से बीते 9 महीनों में 104 गुमशुदा बच्चों को उनके माता-पिता के पास सही सलामत पहुंचाया गया है। इस नेक कार्य के लिए पूरे पुलिस विभाग और समाज में उनकी जमकर तारीफ हो रही है।

रात के अंधेरे में भी बच्चों के लिए तत्पर

सीमा और सुमन, जो समयपुर बादली थाने में तैनात हैं, एंटी ट्रैफिकिंग यूनिट के तहत काम करती हैं। यह यूनिट गुमशुदा बच्चों को खोजने और उन्हें उनके परिवार से मिलाने का काम करती है। दोनों कांस्टेबल न केवल दिन में बल्कि रात के अंधेरे में भी अपनी ड्यूटी के लिए तत्पर रहती हैं।
सीमा बताती हैं कि बच्चों की लोकेशन मिलते ही वे तुरंत एक्शन में आ जाती हैं। यहां तक कि अगर रात के 1 या 3 बजे भी किसी बच्चे की जानकारी मिलती है, तो वे फौरन मौके पर पहुंच जाती हैं। साइबर सेल की मदद से बच्चों की लोकेशन ट्रेस की जाती है और फिर हर संभव प्रयास करके उन्हें सुरक्षित उनके माता-पिता को सौंपा जाता है।

परिवार और ड्यूटी के बीच संतुलन

सीमा हरियाणा के सोनीपत जिले से हैं और साल 2006 में पुलिस में भर्ती हुईं। उनके पिता भी पुलिस में हेड कांस्टेबल थे। हालांकि, उनकी मृत्यु हो चुकी है। सीमा के दो बच्चे हैं और अक्सर उनकी ड्यूटी इतनी लंबी हो जाती है कि उनके बच्चे इंतजार करते-करते सो जाते हैं।
दूसरी ओर, सुमन रोहतक की रहने वाली हैं और 2010 में पुलिस में शामिल हुई थीं। वे भी दो बच्चों की मां हैं और उनके परिवार में तीन अन्य बहनें भी पुलिस में कार्यरत हैं। मां होने के नाते दोनों कांस्टेबल गुमशुदा बच्चों और उनके माता-पिता का दर्द गहराई से समझती हैं। इसी ममता और संवेदनशीलता के चलते वे हर बच्चे को घर पहुंचाने में पूरी मेहनत करती हैं।

प्रेरणा की मिसाल: सुमन और सीमा

इंस्पेक्टर प्रमोद तोमर ने दोनों कांस्टेबल की तारीफ करते हुए उन्हें “धाकड़” बताया। उन्होंने कहा कि ये दोनों कभी ड्यूटी से पीछे नहीं हटतीं। उनकी तत्परता और ईमानदारी की वजह से न केवल दिल्ली, बल्कि उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में गुमशुदा बच्चों को उनके घर पहुंचाया गया है।

दोनों कांस्टेबल का कहना है कि माता-पिता को अपने बच्चों के साथ समय बिताना चाहिए और उनके दोस्त बनकर उनकी समस्याओं को समझने की कोशिश करनी चाहिए।

सेवा और समर्पण का अनूठा उदाहरण

सीमा और सुमन ने न केवल गुमशुदा बच्चों को ढूंढने का काम किया, बल्कि समाज के सामने एक प्रेरणादायक उदाहरण भी प्रस्तुत किया है। उनकी निष्ठा और मेहनत ने कई परिवारों को खुशियों से भर दिया है।

इन दोनों महिला कांस्टेबल की कहानी यह साबित करती है कि जब सेवा और समर्पण का भाव होता है, तो हर कठिनाई को पार किया जा सकता है। उनकी यह प्रेरक यात्रा हमें यह भी सिखाती है कि अपने कर्तव्यों के प्रति ईमानदारी और निस्वार्थता कितनी महत्वपूर्ण होती है।

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