Shyam Benegal का निधन: भारतीय सिनेमा के लीजेंड, 90 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस
भारतीय सिनेमा को नई दिशा देने वाले प्रसिद्ध फिल्मकार, पटकथा लेखक, और निर्माता Shyam Benegal का सोमवार को 90 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने मुंबई के वोकहार्ट अस्पताल में शाम 6:38 बजे अंतिम सांस ली। उनकी बेटी पिया बेनेगल ने जानकारी दी कि वे लंबे समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे और दो वर्षों से डायलिसिस पर थे।
उनका अंतिम संस्कार मंगलवार को किया जाएगा। श्याम बेनेगल भारतीय सिनेमा के उन गिने-चुने नामों में से हैं, जिन्होंने कला और सामाजिक मुद्दों को पर्दे पर उतारा। उनके नाम आठ नेशनल फिल्म अवॉर्ड और कई अन्य प्रतिष्ठित पुरस्कार दर्ज हैं।
फिल्मी सफर की शुरुआत: पिता के कैमरे से पहली फिल्म
श्याम सुंदर बेनेगल का जन्म 14 दिसंबर 1934 को हैदराबाद के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। उन्होंने अर्थशास्त्र में पढ़ाई की और इसके बाद फोटोग्राफी में रुचि दिखाई। महज 12 वर्ष की उम्र में अपने पिता के कैमरे से उन्होंने अपनी पहली फिल्म बनाई। इसके बाद उनकी रुचि सिनेमा में बढ़ती गई।
गुरुदत्त के कजिन और एड फिल्म्स से शुरुआत

श्याम बेनेगल मशहूर अभिनेता और फिल्मकार गुरुदत्त के कजिन थे। एमए करने के बाद उन्होंने एड एजेंसियों के लिए काम किया और फिर बतौर कॉपीराइटर शुरुआत की। उनकी पहली फिल्म ‘अंकुर’ (1974) थी, जिसने उन्हें फिल्म जगत में एक नई पहचान दिलाई।
भारतीय सिनेमा में नई लहर
श्याम बेनेगल को “आर्ट सिनेमा का जनक” भी कहा जाता है। उनकी फिल्मों ने भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं को उकेरा। उनकी फिल्में नसीरुद्दीन शाह, स्मिता पाटिल, शबाना आजमी, और ओम पुरी जैसे बेहतरीन कलाकारों को मंच प्रदान करने के लिए जानी जाती हैं। उनकी चर्चित फिल्मों में ‘मंथन’, ‘अंकुर’, ‘निशांत’, ‘जुबैदा’, और ‘मंडी’ शामिल हैं।
डॉक्यूमेंट्री और धारावाहिक में भी योगदान
श्याम बेनेगल ने फिल्में ही नहीं, बल्कि डॉक्यूमेंट्री और धारावाहिक में भी योगदान दिया। उन्होंने ‘भारत एक खोज’, ‘यात्रा’, और ‘कथा सागर’ जैसे लोकप्रिय टीवी धारावाहिकों का निर्देशन किया। इसके अलावा, उन्होंने जवाहरलाल नेहरू और सत्यजीत रे पर डॉक्यूमेंट्री भी बनाई।
सम्मान और उपलब्धियां
- पद्मश्री (1976) और पद्म भूषण (1991) से सम्मानित।
- भारतीय सिनेमा का सबसे बड़ा पुरस्कार दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड (2005)।
- 8 नेशनल फिल्म अवॉर्ड का रिकॉर्ड।
- 24 फिल्में, 45 डॉक्यूमेंट्री, और 15 एड फिल्म्स का निर्देशन।
आखिरी फिल्म और उनकी विरासत
उनकी आखिरी फिल्म ‘मुजीब – द मेकिंग ऑफ ए नेशन’ थी, जो बांग्लादेश के राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर रहमान की जिंदगी पर आधारित थी।
श्रद्धांजलि और शोक संदेश
उनके निधन पर फिल्म जगत की कई हस्तियों ने श्रद्धांजलि दी।
- शेखर कपूर: “श्याम बेनेगल ने भारतीय सिनेमा को नई दिशा दी। उनके साथ काम करना प्रेरणादायक था।”
- सुधीर मिश्रा: “उन्होंने साधारण लोगों के जीवन को अद्भुत तरीके से पेश किया।”
- इला अरुण: “मैंने अपने गुरु और पिता समान शख्सियत को खो दिया है।”
श्याम बेनेगल की मृत्यु भारतीय सिनेमा के लिए एक बड़ी क्षति है। उनकी फिल्मों और विचारधारा ने कला और समाज के बीच एक पुल का काम किया। उनके योगदान को सिनेमा और समाज हमेशा याद रखेंगे।