तीन बच्चों की मां का अजीब पेशा: गर्भ में पालती पराए भ्रूण, फिर करती है ये काम
मां बनने का सपना हर शादीशुदा महिला और कपल देखता है। यह भावना जीवन का सबसे अनमोल अनुभव होती है। लेकिन कुछ लोगों के लिए यह सपना पूरा करना आसान नहीं होता। ऐसे मामलों में, सरोगेसी एक समाधान बनकर उभरती है। हालांकि, यह प्रक्रिया सरोगेट मां और उससे जुड़े परिवारों के लिए कई चुनौतियां लेकर आती है। आज हम आपको तीन बच्चों की मां का अजीब पेशा और एक ऐसी ही सरोगेट मां, येसेनिया लैटोरे, की प्रेरणादायक कहानी बताएंगे।
येसेनिया लैटोरे: मातृत्व की नई परिभाषा
येसेनिया लैटोरे तीन बच्चों की मां हैं और कई बार सरोगेट मां बन चुकी हैं। वह उन महिलाओं के लिए उम्मीद की किरण हैं, जो किसी कारणवश मां नहीं बन सकतीं। सरोगेसी के जरिए येसेनिया ने कई अनजान महिलाओं को मातृत्व का सुख दिया।
येसेनिया अनजान पुरुषों के भ्रूण को अपने गर्भ में पालती हैं और नौ महीने बाद बच्चे को उसके जैविक माता-पिता को सौंप देती हैं। इसके बदले उन्हें लगभग 40 लाख रुपए मिलते हैं, जिसमें से 5-10 लाख उनके स्वास्थ्य और देखभाल पर खर्च किए जाते हैं।
येसेनिया का कहना है कि लोग अक्सर उन्हें आलोचनाओं का शिकार बनाते हैं और इसे “शरीर का व्यापार” मानते हैं। हालांकि, उनका उद्देश्य केवल उन परिवारों की मदद करना है, जो मां-बाप बनने का सपना देख रहे हैं।
सरोगेसी का अनुभव: नफरत से प्रेरणा तक का सफर
येसेनिया ने पहली बार सरोगेसी का अनुभव ऑनलाइन साझा किया। लेकिन इसके बाद उन्हें कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा। लोगों ने उन्हें “पैसे के लिए शरीर किराए पर देने वाली” और “बच्चे बेचने वाली” कहकर बदनाम किया।
उन्होंने यूट्यूब चैनल Truly से बातचीत में अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि आलोचनाओं के बावजूद, वह सरोगेसी का हिस्सा बनीं क्योंकि उनका सपना था कि हर मां-बाप को अपने बच्चे की मुस्कान देखने का अवसर मिले।
येसेनिया ने कहा, “मुझे अपने बच्चों को भी समझाना पड़ा कि मेरे गर्भ में पलने वाला बच्चा मेरा नहीं है। मैंने उन्हें शिशु के असली माता-पिता से भी मिलवाया।” उन्होंने यह भी बताया कि उनका खुद का गर्भपात हो चुका है, जिसने उन्हें इस प्रक्रिया के प्रति और संवेदनशील बना दिया।
सरोगेसी के प्रति समाज का नजरिया
हालांकि सरोगेसी के माध्यम से मां-बाप बनने वाले परिवारों के लिए यह प्रक्रिया खुशी लाती है, लेकिन समाज का एक बड़ा वर्ग इसे संदेह की नजर से देखता है। लोगों को लगता है कि सरोगेट मां पैसा कमाने के लिए इस रास्ते पर चलती हैं।
येसेनिया ने स्पष्ट किया कि सरोगेसी से उन्हें प्रति घंटे केवल 300 रुपए मिलते हैं। उन्होंने कहा, “लोग सोचते हैं कि मुझे करोड़ों रुपए मिलते होंगे, लेकिन ऐसा नहीं है। मैं यह काम अमीर बनने के लिए नहीं, बल्कि दूसरों की खुशी के लिए करती हूं।”
सरोगेसी से जुड़ी चुनौतियां और मानसिकता बदलने की जरूरत
सरोगेसी न केवल एक शारीरिक प्रक्रिया है, बल्कि यह भावनात्मक रूप से भी चुनौतीपूर्ण होती है। एक महिला को नौ महीने तक गर्भधारण के दौरान मानसिक और शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके बावजूद, समाज में इसे केवल एक “व्यवसाय” के रूप में देखा जाता है।
येसेनिया की कहानी हमें यह सिखाती है कि सरोगेसी केवल पैसा कमाने का जरिया नहीं, बल्कि दूसरों के जीवन में खुशियां लाने का माध्यम है। यह प्रक्रिया उन परिवारों के लिए वरदान है, जो संतान की चाह रखते हैं।
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